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एक बार देवासुर संग्राम में देवताओं से पीड़ित हो, दैत्यों ने महर्षि भृगु की पत्नी की शरण ली। भृगु पत्नी ने उस समय दैत्यों को आश्रय दिया तो वे आश्रम में निर्भय होकर रहने लगे। भृगु पत्नी ने दैत्यों को आश्रय दिया है, यह जानकर कुपित हुए भगवान् विष्णु ने, तीखी धार वाले चक्र से उसका मस्तक काट दिया था। अपनी पत्नी का वध हुआ देख महर्षि भृगु ने कुपित होकर भगवान् विष्णु को शाप दिया कि जनार्दन ! "मेरी पत्नी वध के योग्य नहीं थी किन्तु आपने क्रोधवश उसका वध किया है, अत: आपको मनुष्यलोक में जन्म लेना पड़ेगा और वहां बहुत वर्षों तक आपको पत्नी वियोग का कष्ट सहना पड़ेगा।” महर्षि ने भगवान विष्णु को शाप तो दे दिया किन्तु तुरन्त ही उनके चित्त में बड़ा पश्चाताप हुआ और उन्होंने भगवान से उस शाप को स्वीकार करने के लिये, उन्हीं की आराधना की क्योंकि उन्हें अपने शाप की विफलता का भय हो गया था। तपस्या से सन्तुष्ट होकर भगवान विष्णु ने उस शाप को स्वीकार कर लिया जिसके कारण उन्हें राम रूप में प्रकट होना पड़ा।

विष्णु रूप श्रीराम | Vishnu Roop Shree Ram

SKU: 8180360903
₹100.00मूल्य
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  • Author

    Hari Singh

  • Publisher

    Devnagar Prakashan

  • No. of Pages

    72

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