यह पुस्तक आमेर के राजा मानसिंह के जीवन और कार्यों को चित्रित करती है जो अकबर के राजदरबार में एक महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व रखते थे। महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व केवल अपने समय के ही आलोक स्तम्भ नहीं होते अपितु समय आने पर वे दो युगों के बीच जोड़ने वाली श्रृंखला का भी काम करते हैं। राजा मानसिंह के सम्बन्ध में यह बात पूर्णतः घटित होती है। लेखक ने इस पुस्तक में इतिहास के मूल स्रोतों का गंभीर अध्ययन करने का प्रयास किया है और निर्भीकतापूर्वक अनेक महान् इतिहासकारों से अपना भिन्न मत प्रकट किया है जो ऐतिहासिक सत्य की प्रामाणिकता सिद्ध करता है।
इस पुस्तक के पृष्ठों में इसके पाठक राजा मानसिंह का एक सजीव चित्र प्राप्त करेंगे जो एक साम्राज्य निर्माता, विद्वानों के संरक्षक, कलाप्रेमी और स्थापत्य कला के मर्मज्ञ थे। साथ ही साथ इससे यह बात भी प्रमाणित होती है कि उनमें चतुरता और हास्यविनोद की समझ भी बहुत प्रबल थी जो सामान्यतः एक अध्यक्ष के गुणों से पृथक् समझी जाती है। यह सब तथ्य राजा मानसिंह के उच्च कोटि के राजनैतिक स्तर को प्रमाणित करने वाले हैं। इनसे इस बात का भी पता लगता है कि उनके मानस में एक परिष्कृत अभिरुचि और सौन्दर्यबोध की भी सहज प्रवृत्ति थी।
राजा मानसिंह आमेर | Raja Mansingh Amer
Author
Rajeev Nayan Prasad
Publisher
Rajasthani Granthagar
No. of Pages
248