top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

रवीन्द्रनाथ एक गीत हैं, रंग हैं और हैं एक असमाप्त कहानी। बांग्ला में लिखने पर भी वे किसी प्रांत और भाषा के रचनाकार नहीं हैं, बल्कि समय की चिंता में मनुष्य को केन्द्र में रखकर विचार करने वाले विचारक भी हैं। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' उनके लिए नारा नहीं आदर्श था केवल 'गीतांजलि' से यह भ्रम भी हुआ कि वे केवल भक्त हैं, जबकि ऐसा है नहीं। दरअसल, हिटमैन की तरह उन्होंने 'आत्म साक्ष्य' से ही अपनी रचनाधर्मिता को जोड़े रखा। इसीलिए वे मानते रहे कविता की दुनिया में दृष्टा ही सृष्टा है 'अपारे काव्य संसारे कविरेव प्रजापति।' हालांकि वे पारंपरिक दर्शन की बांसुरी के चितेरे हैं, फिर भी इसमें सुर सिर्फ रवीन्द्र के हैं। अपनी आस्था और शोध के सुर । कला उनके लिए शाश्वत मूल्यों का संसार था।

रमेश और हेमनलिनी का प्रेम परवान चढ़ने ही वाला था कि रमेश के पिता ने उसकी शादी किसी और से कर दी। छिपाने की तमाम कोशिशों के बाद भी क्या रमेश हेमनलिनी से अपनी यह शादी छिपाए रख सका? कमला रमेश के साथ उसकी पत्नी बन कर रह रही थी किंतु क्या वह वास्तव में उसकी पत्नी थी? जब दोनों को सचाई पता चली तो उन पर क्या बीती ? जानते हैं, यह सब गड़बड़ घोटाला क्यों हुआ ? सिर्फ एक दुर्घटना यानी 'नाव दुर्घटना' के कारण- प्रस्तुत उपन्यास में उक्त समस्त प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं। यह एक ऐसा उपन्यास है, जिसे आप अवश्य पढ़ना चाहेंगे और वह भी आदि से अंत तक ।

नाव दुर्घटना | Naav Durghatna

SKU: 9789382908302
₹290.00 नियमित मूल्य
₹246.50बिक्री मूल्य
स्टॉक में केवल 1 ही शेष हैं
  • Rabindranath Tagore

अभी तक कोई समीक्षा नहींअपने विचार साझा करें। समीक्षा लिखने वाले पहले व्यक्ति बनें।

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page