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प्रस्तुत पुस्तक उन पासवानों की व्यथा- कथा है जो राजा-महाराजाओं के राजमहलों में अपने दिन गुजारती थीं। कुछ पासवानें इतनी राहजोर होती थीं कि अपने सौन्दर्य और कला के बल पर शासन को अपनी मुट्ठी में कर लेती थीं। इन पासवानों का जीवन प्रतिफल खतरे से भरा होता था। राजा की मृत्यु या नाराजगी उसकी दुर्गति का कारण बनती थी। अन्त में उसे अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता था । प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं अभागिन पासवानों की कथाएँ दी गई हैं।

राजस्थान के राजा-महाराजा बड़ी संख्या में पासवानें अपने उपभोग के लिए रखते थे। उनके सर्वहासी सौन्दर्य के मोहपाश में बँधकर वे अपना राज्य और जीवन भी खो बैठते थे। पासवान रखने की प्रथा प्रायः सभी राजघरानों में प्रचलित थी। इस प्रथा के कारण राजपूत राजाओं का नैतिक पतन अपनी चरम सीमा पर जा पहुँचा था।

प्रस्तुत ग्रन्थ में भारत-प्रसिद्ध कुछ ऐसे बड़े शासकों की पासवानों के प्रति बढ़ी हुई आसक्ति की कथा भी दी गई है जो अल्पज्ञात है। किस प्रकार रूप-सौन्दर्य का जादू उन वीर पुरुषों पर अपना गहरा असर डाल गया जो जीवन के रस को एक साथ पी जाना चाहते थे। यह सम्पर्ण कथा बड़ी विस्मयकारी है।

इस पुस्तक में पासवानों से सम्बन्धित 35 कथाएँ दी गई हैं जो मध्यकालीन राजा- महाराजाओं के चरित्र पर सम्यक् प्रकाश डालती हैं। रंगीनी से भरा पूरा जीवन का एक आल्होदकारी पक्ष इन कथाओं में मुखरित है। आशा है कि सहृदय पाठकों को इस अल्पज्ञात पक्ष की प्रमुख जानकारी रुचिकर प्रतीत होगी।

राजा-महाराजा और उनकी पासवानें | Raja-Maharaja aur Unki Paswanen

SKU: 8188099767
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  • Author

    Ratanlal Mishra

  • Publisher

    Anu Prakashan

  • No. of Pages

    158

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