हिन्दी साहित्य के छात्र-छात्राओं के लिए काव्य के निहितार्थ को समझने समझाने के लिए ‘काव्यशास्त्र' के प्रमुख तत्वों को जानना आवश्यक होता है। इसी तथ्य को केन्द्र में रखकर माध्यमिक और स्नातक स्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में काव्यशास्त्र के 'रस', 'अलंकार', 'छन्द', 'शब्द शक्ति', 'गुण-दोष' आदि को आवश्यक रूप से सम्मिलित किया जाता है, स्पष्ट हे साहित्य को समझने-समझाने के लिए काव्यशास्त्र के तत्वों को समझना और हृदयंगम करना अपरिहार्य माना गया है। काव्यशास्त्र के इन तत्वों को भलीभाँति हृदयंगम करने से छात्र - छात्रा की साहित्यिक समझ में समृद्धि होती है—परीक्षा में उसे अच्छे से अच्छे अंकों को पाने में सुख-सुविधा होती है।
‘अलंकार-पारिजात' काव्यशास्त्र के इन्हीं तत्वों को सुगमता से समझाने हेतु सुलेखक प्रो. नरोत्तमदास स्वामी द्वारा तैयार की गई थी— जिसे देश के हर हिस्से के छात्र-छात्राओं ने अपने लिये उपयोगी माना। अब इसके नवीनतम संस्करण को और भी अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में पर्याप्त परिवर्तन, परिवर्द्धन और परिष्करण किया गया है। विश्वास है, प्रस्तुत संस्करण छात्र-छात्राओं के लिए अधिकाधिक उपयोगी सिद्ध होगा। इसे और अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में दिये गये सुझावों का हार्दिक स्वागत होगा।
अलंकार पारीजात | Alankar Parijat
Narottamdas Swami