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जीवन एक रंगमंच है जहाँ हर व्यक्ति अपनी भूमिका निभाने आता है। हम सभी इस संसार में कुछ उद्देश्य लेकर आते हैं, जिनकी प्राप्ति हमें जीवन के विभिन्न पड़ावों पर मिलती है। लेकिन उम्र के साथ हमारे अनुभव, सोच और दृष्टिकोण बदलते जाते हैं। बुढ़ापा केवल शरीर की थकावट का संकेत नहीं है बल्कि यह एक जीवन की संपूर्ण यात्रा का अनुभव है, जो हमें गहराई से जीने और हर पल को संजोना सिखाता है। बूढ़ी काकी और मेरा संवाद उन अनुभवों का संग्रह हैं जो जीवन के रंगों और मोड़ों से उपजे हैं। काकी के शब्दों में छिपा ज्ञान हमें यह बताता है कि जीवन में हम जो भी पाते हैं, वह अनुभव और सीख का एक हिस्सा होता है। काकी के विचार जीवन की उन सच्चाइयों से भरे हैं, जिन्हें अक्सर हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं। बुढ़ापा अपने आप में एक सौंदर्य है, जो हमें ख़ुद को देखने और समझने का मौक़ा देता है। यह सिर्फ़ एक आयु नहीं है बल्कि जीवन का वह समय है जब हम अपने अतीत को देखकर मुस्कराते हैं और भविष्य की अनिश्चितताओं को अपनाते हैं। मेरा मानना है कि इस किताब में निहित बातें एक ऐसी यात्रा का आह्वान करती हैं, जिसमें हर मोड़ पर एक नई सीख, एक नई उम्मीद और एक नया दृष्टिकोण मिलता है। यह हमें बुढ़ापे की महिमा को समझने और सराहने का अवसर प्रदान करती है। बूढ़ी काकी के शब्द हमें यह एहसास दिलाते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ न केवल अनुभव बढ़ते हैं बल्कि जीवन जीने की कला और गहरी हो जाती है।

क्या पाया इतना जीकर । Kya Paya Itna Jeekar

SKU: 9788198133649
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