हर आदमी का जीवन सपनों के माध्यम से संचालित होता है। हर व्यक्ति सूरज बनना चाहता है और सबको प्रकाशित करना चाहता है। परंतु सूरज को सूरज बनने के लिए भी लंबा संघर्ष करना पड़ता है। प्रशासनिक अधिकारी बनने का ख्वाब देखने वालों को भी पल-पल अपने ही मानसिक द्वंद्वों से लड़ना पड़ता है। उपन्यास ‘गांधी चौक’ के पात्र अश्वनी, सूर्यकांत और नीलिमा अपने इन्हीं मानसिक द्वंद्वों पर विजय प्राप्त करते हैं। यह कहानी अश्वनी के अपने बीहड़ गाँव से निकलकर बिलासपुर के गांधी चौक में पहुँचे सिविल सर्विस की तैयारी करने और उनके मार्ग में आने वाली बाधा की कहानी है। वे अपनी समस्याओं का समाधान कैसे करते हैं, इस उपन्यास में ये सब नजर आएगा। वहीं यह एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को पाने के लिए बड़े पद का त्याग कर पुनः पद पाने के लिए संघर्ष की कहानी भी है। यह कहानी आम पाठकों की कहानी है। गाँधी चौक आकर तैयारी करने वाले युवाओं के संघर्ष, समर्पण और सफलता की कहानी है।
गांधी चौक । Gandhi Chowk
Dr. Anand Kashyap