रेगिस्तान में रहने वाले घुमक्कड़ लोगों की जीवन शैली, लोकगायन से जुड़ी जातियों का समाज में स्थान और जटिल सामाजिक तानेबाने में उपजे विजातीय प्रेम की गहरी टीस भरी कहानी है, छोरी कमली। इस कहानी में मांगणियार लोकगायक और घुमक्कड़ जोगी लड़की का प्रेम मेरुदंड है और उसके आस-पास रेगिस्तान का जीवन और रेत का बारीक सौंदर्य उकेरा हुआ है। लोकप्रिय कहानीकार किशोर चौधरी की यह कहानी, उनके दूसरे कहानी-संग्रह 'धूप के आईने में' प्रकाशित की गई थी। कहानी 'छोरी कमली' में उकेरे गए रेगिस्तान को पाठकों ने ख़ूब पसंद किया। कालबेलिया नर्तकी कमली के नाच और मांगणियार गायक के सुरों के प्रेम में आलोड़ित हो जाने वाले पाठकों और रेगिस्तान के चाहने वालों के लिए यह कहानी-संग्रह 'छोरी कमली' शीर्षक के साथ पुनः प्रस्तुत है।
छोरी कमली । Chhori Kamli
Kishore Choudhary