योग जीवन जीने का सरल सहज और आसान तरीका है सकारात्मकता की जरूरत जितनी आज के समाज को है शायद उतनी जरूरत कभी किसी समाज या मनुष्य को नहीं रही होगी क्योंकि कुछ सी साल पहले तक मनुष्य के जीवन की आवश्यकताएं इतनी नहीं थी तो उनकी आपूर्ति की समस्याएं भी नहीं थी इसलिए अलगांव अपने निम्न स्तर पर था। तरक्की और वैश्वीकरण के कारण मनुष्य को सुविधाएं तो मिली किन्तु उसकी कीमत उसे अपने चैतन्य से विमुख होकर देनी पड़ रही है। पहले मनुष्य स्वाभाविक रूप से चैतन्य था खुद से इतना कटा हुआ नहीं था लेकिन आज की स्थिति जो है उसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है। जीवन की न्यूनतम आवश्कताओं को पूरा करने के लिए आज का मनुष्य जो तनाव झेल रहा है उसका नतीजा शारीरिक, मानसिक भावनात्मक, उत्पीड़न है।
जीवन योग | Jeevan Yog
Author
Yogacharya Nayeem Khan
Publisher
Rajasthani Granthagar
No. of Pages
167