डोंगरी से दुबई तक मुम्बई माफिया के इतिहास को सिलसिलेवार तरीके से दर्ज करने की पहली कोशिश है। यह हाजी मस्तान, करीम लाला, बस्दाराजन मुदलियार, छोटा राजन, अबू सलेम जैसे कुख्यात गिरोहबाजों की कहानी तो है ही, लेकिन इन सब से ऊपर, एक ऐसे नौजवान की कहानी है, जो अपने पिता के पुलिस महकमे में होने के बावजूद गलत रास्ते पर चल पड़ा। अपराध की दुनिया में दाऊद इब्राहिम का दाखिला मुम्बई पुलिस के एक मोहरे के रूप में हुआ और यह इस दुनिया के अपने प्रतिद्वन्द्रियों का सफाया करता हुआ अन्ततः मुम्बई पुलिस के लिए ही भस्मासुर साबित हुआ।
पठानों के उत्थान से लेकर दाऊद गिरोह के बनने तक, पहली बार दी गयी। सुपारी से से लेकर बॉलीवुड में माफिया की घिनौनी भूमिका तक, और दाऊद के कराची में पलायन से लेकर दुनिया के इस मोस्ट बाण्टिड अपराधी को कथित रूप से पनाह देने में पाकिस्तान की भूमिका तक यह किस्सा हिन्दुस्तान के अपराध के इतिहास के कई बड़े-बड़े कारनामों को अपने भीतर समेटता है।
डोंगरी के एक साधारण से लड़के के दुबई जाकर एक डॉन में तब्दील हो जाने की यह कहानी अपनी रोमांचक किस्सागोई के सहारे इस लड़के के दुस्साहस, कुटिलता, एकाग्रता, महत्वाकांक्षा और ताकत की हवस की। दास्तान पेश करती है। जबरदस्त शोध के बाद लिखी गयी यह किताब पूरी गहराई और तफसील के साथ माफिया की वर्चस्व की लड़ाइयों और एक दूसरे को नेस्तनाबूत कर देने की उसकी रणनीतियों का ब्योरा पेश करती है।
मुम्बई निवासी पत्रकार एस. हुसैन जैदी मुम्बई मीडिया में अपराध और आतंक की खोजी रिपोटिंग के उस्ताद हैं। उन्होंने एशियन एज, मुम्बई मिरर, मिड-डे और इण्डियन एक्सप्रेस के लिए काम किया है। इसके पहले उन्होंने ब्लैक फ
डोंगरी से दुबई तक । Dongri se Dubai Tak
S. Hussain Zaidi