तत् त्वम् असि भारत के पुरातन हिंदू शास्त्रों व उपनिषदों में वर्णित चार महावाक्यों में से एक है, जिसका अर्थ है "वह तुम ही हो"। - यह आध्यात्म का मूल है। तुम जिसकी खोज में भटक रहे हो वह तुम हो। जिसे तुम हासिल करना चाहते हो, जो तुम्हारे समस्त दुखों का कारण है, जो तुम्हे प्रसन्नता दे सकता है, वह तुम ही हों।
ताक्षी एक खोज है। कहानी के तीन अलग-अलंग किरदार ताश्री, नंदिनी और विजय कुछ खोज रहे हैं, मगर तीनों की मंजिल एक ही है - स्वयं।.
"मूल रूप से “झीलों की नगरी" उदयपुर के निवासी सुमित मेनारिया पेशे से एक चार्टर्ड. अकाउन्टेंट हैं। आपका जन्म सन 1991 में हुआ और बाल्यकाल से ही आपकी अध्ययन और लेखन में रूचि रही है। इनकी कविताएँ और कहानियाँ विभिन्न समाचार-पत्रों और ब्लॉग्स पर प्रकाशित होती रही हैं, साथ ही इन्होंने शॉर्ट फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट और म्यूज़िक वीडियो के लिए गीत भी लिखे हैं।
ताश्री | Tashree
Author
Sumit Menariya
Publisher
Ekatra
No. of Pages
259