कई खंडों में विभक्त यह कविता-संग्रह राज तिलक रौशन जी की अनुपम प्रतिभा और साहित्य संस्कार की जीवंत अभिव्यक्ति है। अपनी अनुभव संपदा तथा शिल्पगत ऐश्वर्य के कारण निश्चय ही यह संग्रह कवि को वैश्विक सम्मान का अधिकारी बनाएगा। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि सहृदय पाठक इन कविताओं को अपना स्नेह और सम्मान देंगे। यह हिंदी का सौभाग्य माना जाएगा कि अनेक क्षेत्रों और वृत्तियों के प्रतिनिधि अपनी प्रतिभा से हिंदी के कोष को समृद्ध करें। राज तिलक रौशन का व्यक्तित्व विज्ञान, प्रशासन और काव्य की त्रिवेणी है। निश्चय ही यह कविता-संग्रह उस पवित्र प्रयाग का पावन जल है।
– अरुण कमल
(प्रतिष्ठित कवि और सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित)
बंजारापन । Banjaarapan
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Raj Tilak Roushan
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