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जीवन, एक स्वप्न है, भय और जिज्ञासा से भरा हुआ।

शाख़ से कोई पत्ता टूटा। सूनेपन में कोई चिड़िया चहकी। अचानक कुछ याद आया। फिर देर तक सोचते रहे कि ये क्या हो गया। फिर चाहा कि कोई पास होता। किसी से बात कर सकते। एक आवाज़ दी जा सकती। लेकिन रेगिस्तान की ठंडी सुबहें, गर्म-सूनी दोपहरें और चुप शामें गुज़रती गईं।

ज़िंदगी जितनी ख़ूबसूरत है, इसके दुख उससे अधिक ख़ूबसूरत निकले। कि छोटे दुखों में सब कुछ भूल सके। चिलम, कहवा, चाय और मद भरे प्याले इन दुखों के साथ आ बैठते। दुख की तन्हाई किसी महफ़िल में बदल जाती रही।

कुछ भी बेकार नहीं था। कुछ भी कम या ज़्यादा नहीं। न चाहना कम हुई और न इंतज़ार। ऐसे लम्हों में जाना कि कुछ महसूस किया, कुछ सीखा। इससे भी अच्छा हुआ कि कुछ कोसने लिखे। लिखकर आँखें नम कर लीं फिर देर तक हँसते रहे।

ज़िंदगी की हर बात कितनी भी बेवजह हो, वह कविता से अधिक सुंदर होती है।

बातें बेवजह । Baatein Bevajah

SKU: 9789392820021
₹199.00 नियमित मूल्य
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  • Kishore Choudhary

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