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पंजाब के सूफी संत और कवि बुल्ले शाह (1680-1758) अपने असाधारण व्यक्तित्व, व्यवहार और गहरे आध्यात्मिक अनुभव से सम्पन्न वाणी के कारण हिन्दू, मुसलमान और सिखों में समान रूप से लोकप्रिय हैं। उनकी समस्त वाणी ईश्वर को पाने की कामना पर एकाग्र है और वे प्रेम को ही इसका एकमात्र साधन मानते हैं। बुल्ले शाह की वाणी पंजाबी है और इसकी मस्ती, खुमारी, बेपरवाही पंजाब के लोक से आती है। शायद यही कारण है कि उनकी वाणी आज भी लोकप्रिय है और सिनेमा, संगीत, टीवी, इंटरनेट आदि में इसका बहुत प्रचलन है।

इस पुस्तक का चयन व संपादन डॉ. माधव हाड़ा ने किया है, जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ के रूप में है। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष डॉ. हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फैलो रहे हैं। संप्रति वे वहाँ की पत्रिका चेतना के संपादक हैं। प्रस्तुत चयन में बुल्ले शाह की रचनाओं में से श्रेष्ठ और प्रतिनिधि रचनाओं को प्रस्तुत किया गया है।

बुल्ले शाह । Bulleh Shah

SKU: 9789393267375
₹185.00 नियमित मूल्य
₹166.50बिक्री मूल्य
स्टाक खत्म
  • Author

    Madhav Hada

  • Publisher

    Rajpal & Sons

  • No. of Pages

    112

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