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लोकतंत्र चाहिए या फिर भीड़तंत्र - फ़ैसला करें

असगर वजाहत हिन्दी के अकेले कथाकार हैं जो कहानी में व्यंग्य, विद्रूप और करुणा एक साथ उत्पन्न करते हैं। उर्दू में मंटो को इसका जादूगर माना है लेकिन आज के लोकतंत्र को इस नज़र से देखने का हुनर शायद अकेले असगर वजाहल में ही है। भीड़तंत्र की कहानियाँ हमें अपने आज का आईना दिखाती हैं जिसमें देश-दुनिया, घर-बाहर, व्यंग्य-विद्रूप, अंधकार-उजास, सब शामिल है। व्यंग्य की तीखी मार के साथ असगर वजाहत का निजी स्पर्श इन कहानियों में ऐसी आत्मीयता जगाता है जिसे पाठक बहुत दिनों तक याद रखेंगे।

भीड़तंत्र की कहानियों के मार्फ़त लेखक पाठक की चेतना को झकझोरता है। अपने लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए हर भारतीय नागरिक को सतर्क और सक्रिय होना होगा।

असगर वजाहत जितने अच्छे कहानीकार हैं उतने ही अच्छे नाटककार भी हैं। 'हिन्दी अकादमी' और 'संगीत नाटक अकादमी' के सर्वोच्च सम्मान से अलंकृत वजाहत की अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं-बाक़र गंज के सैयद, सबसे सस्ता गोश्त, सफ़ाई गन्दा काम है, जिन लाहौर नई देख्या ओ जम्बा ई नई, गोडसे @गांधी.कॉम और अतीत का दरवाज़ा ।

भीड़तंत्र । Bheedtantra

SKU: 9789386534361
₹225.00 नियमित मूल्य
₹202.50बिक्री मूल्य
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  • Author

    Asghar Wajahat

  • Publisher

    Rajpal & Sons

  • No. of Pages

    127

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