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आपणी राजस्थानी भासा, राजस्थान री धरती अर इतिहास री तर ही सबळ मैं क्षमतावान है । आपणां गीतड़ा अर भीतड़ा जतरा कीरत उजागर है वसीज मरम भरी ख्याता अर वाता है। राजस्थानी काव्य तो जगत चावो है, देस विदेस री घणी खरी भासावां में राजस्थानी काव्य से अनुवाद व्हीयो है पण गद्य साम्हो ध्यान ही नी दीघो, ई वास्ते राजस्थानी गद्य रा गुण लोगां री जाण में आणा चावै जस्या आया नी । राजस्थानी वाता री सैली आपरा ढंग री अनोखी है। ई पोथी में म्हूं म्हारी आधुनिक राजस्थानी में लिख्योड़ी चवदा मौलिक वाता नजर कर री हूँ। राजस्थान री जूनी परंपरा अर इतिहास ने अळगो राख नै वातां लिखणों तो एक राजस्थानी लेखक साखं नामुमकिन ही नी पण अणखावणो भी लागे राजस्थान री संस्कृति अर परंपरा अंतरी ओज में भरघोड़ी है के कोई बात लिखे अर जीमें यां रो परतबंध न झलकै तो या बात राजस्थान से अळगी अळगी अर अपरोगी लागे।

माँझल रात । Manjhal Raat

SKU: 9789394649903
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  • Author

    Padmshree Rani Laxmikumari Chundawat

  • Publisher

    Rajasthani Granthagar

  • No. of Pages

    124

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