रजनीश अमेरिका क्यों गए थे? वो स्त्री कौन थी जो छाया की तरह उनके साथ रहती थी? उनके पूर्वजन्म की माँ और प्रेमिका उन्हें इस जन्म में कैसे मिलीं? उन्होंने खुद को भगवान क्यों कहा? शीला ने आश्रम क्यों छोड़ा और लक्ष्मी को आश्रम से क्यों निष्कासित किया गया? वे इस्लाम पर खुलकर क्यों नहीं बोले? वे सेक्स गुरु और अमीरों के गुरु क्यों कहलाते थे? क्या सच में ही बुद्ध की आत्मा ने उनकी देह में आश्रय लिया था?
अब ओशो कहलाने वाले रजनीश पर केंद्रित यह किताब इन सवालों के जवाब खोजने के साथ ही उनसे जुड़े कई अन्य जरूरी संदर्भों की भी पड़ताल करती है। लेखक ने रजनीशप्रेमी होने के बावजूद वस्तुनिष्ठता से उनके अनेक आयामों का अवलोकन किया है और उन पर एक प्रासंगिक विवेचना प्रस्तुत की है, जो इस विवादास्पद किंतु विलक्षण गुरु के बारे में नई समझ बनाती है।
यह किताब पढ़ने के बाद आप रजनीश को पहले की तरह नहीं देख सकेंगे !
मेरे प्रिय आत्मन्! | Mere Priya Aatman! Osho Rajneesh
Sushobhit