‘लाल आत्माएँ’ वियतनाम के सुप्रसिद्ध कवि माई वान फान रचित महाकाव्य “thời tái chế” (an era of junk) का हिंदी रूपांतरण है। आपने इस काव्य में वियतनाम में 20वीं सदी की शुरुआत से लेकर अब तक घटित हुईं त्रासदियों, ग़लतियों, जटिलताओं, अंतर्विरोधों और विसंगतियों का सूक्ष्म विश्लेषण किया है। अपनी इस कविता में आप एक ऐसी दुनिया का बोध कराते हैं जहाँ इंसान और वस्तु के बीच कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं है जहाँ प्रकृति का स्वभाव समझे बग़ैर इंसान विकास के नाम पर धरती, नदियों, वनस्पतियों को रौंदता, उन्हें धूल-धुएँ और कचरे से भरता बेतहाशा भागा जा रहा है यहाँ तक कि मौत को अपनी ओर बढ़ते देखकर भी निश्चिंत है।.
लाल आत्माएँ । Laal Aatmayein
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Mai Van Phan