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'आज तक उनके किस पूर्वज मुख्यमंत्री ने अपनी जाति को प्रश्रय नहीं दिया? कौन से मुख्य सचिव ने अपनी बिरादरी को महत्त्वपूर्ण पद नहीं सौंपे ? कभी-कभी माधव बाबू का चित्त खिन्न हो उठता। क्या इसी स्वतंत्रता के स्वप्न उन्होंने देखे थे?.... "

भ्रष्टाचार और जातिवाद से महमह महकती राजनीति में मुख्यमंत्री माधव बाबू अपने बिगड़ैल पुत्र कार्तिक को साधने के लिए पारम्परिक भारतीय ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करते हैं, उसकी गाँठ अपने निहित शिक्षक मित्र श्यामाचरण की बेटी जया से बाँधकर । लेकिन सरल, बुद्धिमती और स्वाभिमानी जया पति और मंत्रीपत्नी तथा उनकी नशेड़ी बेटी की समवेत बेहूदगियों से क्षुब्ध आई.ए.एस. परीक्षा की तैयारी के दौरान एक बड़े उद्योगपति के पुत्र 'शेखर से उनकी भेंट के बाद उसके जीवन में नया मोड़ आने ही वाला था, कि नियति उसके अतीत के पन्ने फरफरा कर फिर उसके आगे खोल देती है।

शहर की कुटिल राजनीति, सम्पन्न राजनैतिक घरानों के दुस्सह पारिवारिक दुष्चक्र और पारम्परिक ग्रामीण समाज की कहीं सरल और कहीं कुटिल काकदृष्टि युक्त टिप्पणियों के ताने-बाने से बुना यह उपन्यास अन्त तक पाठकों की जिज्ञासा का तार टूटने नहीं देता।

अतिथि | Atithi

SKU: 9788183610797
₹350.00 Regular Price
₹315.00Sale Price
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  • Shivani

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