"यह क्या, किसका पौधा लाये हो दीनू ?" प्रधानाचार्यजी प्रसन्नता से झुकते हुए पौधे को हाथ में उठाकर बोले, "यह तो अमरूद का पौधा है। तुम्हें क्या मालूम दीनू मुझे अमरूद बहुत पसन्द हैं।" फिर बच्चों की ओर रुख करके जोर से बोले, " अब तक मुझे सब बच्चों ने बड़े प्रेम व आदर से अपने-अपने उपहार दिये। निःसंदेह सभी अच्छे हैं किन्तु सबसे अच्छा उपहार मुझे दीनू का लगा।
"वास्तव में हमें जीवन में एक-दूसरे को इसी तरह का उपहार देना चाहिए। इसी में हमारा व हमारी इस पृथ्वी का कल्याण है। पेड़-पौधे अपने जीवन में मनुष्य को सदा देते ही रहते हैं। हमें भी इनका मान करना सीखना चाहिए। इनके प्रति प्रेम व लगाव रखकर हम विश्व में बढ़ते हुए पर्यावरण के खतरे से पृथ्वी को बचा सकते हैं। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन काल में कम-से-कम पाँच वृक्ष अवश्य लगाने चाहिएँ और फलों के पेड़ तो हमारे स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य हैं।
प्रेरणादायक बाल कहानियाँ | Prernadayak Bal Kahaniyan
Vimla Bhandari