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सख्या का समय है। डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शशों की आड़ से, एक अंग्रेजी ढंग पर सजे हुए कमरे में झाँक रही हैं। जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी ढंग की मनोहर तसवीरें, जो दीवारों से लटक रही हैं, इस समय रंगीन वस्त्र धारण करके और भी सुन्दर मालूम होती हैं। कमरे के बीचोंबीच एक गोल मेज है जिसके चारों तरफ न मखमली गद्दों को रंगीन कुर्सियाँ बिछी हुई हैं। इनमें से एक कुर्सी पर एक युवा पुरुष सर नीचा किये हुए बैठा कुछ सोच रहा है। वह अति सुन्दर और रूपवान पुरुष है, जिस पर अंग्रेजी काट के कपड़े बहुत भले मालूम होते हैं। उसके सामने मेज पर एक कागज है जिसको वह बार- बार देखता है। उसके चेहरे से ऐसा विदित होता है कि इस समय वह किसी गहरे सोच में डूबा हुआ है।

प्रेमा | Prema

SKU: 9788180351488
₹70.00Price
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  • Author

    Munshi Premchand

  • Publisher

    Unique Traders

  • No. of Pages

    151

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