‘कहावतें’ अथवा ‘लोकोक्तियाँ’ शब्दशक्ति का सूत्रमय श्रृंगार है जिनमें अनुभूतियों का मर्म भिदा रहता है। उनका प्रचार और प्रसार भाषा के उद्भव एवं विकास के साथ-साथ समानांतर गति से होता चला जा रहा है। विश्व की कदाचित् ही कोई ऐसी भाषा हो जिसमें कहावतों का प्रचलन न मिलता हो। राजस्थानी भाषा भी उसका अपवाद नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक में राजस्थानी भाषा की कहावतों का संकलन अकारादि क्रम से किया गया है जो केवल संकलनमात्र न होकर उनकी अर्थव्याप्ति तथा प्रासंगिकता भी व्यक्त करता है। इसके विद्धान सम्पादक ने अपने अनेक वर्षों के परिश्रम तथा अध्यवसाय के बल पर उनका संग्रह किया है जिनके अध्ययन से पता चलता है कि उन कहावतों में राजस्थान की संस्कृति एवं ज्ञानसम्पदा का अभिव्यंजन कितनी अधिक जीवंतता के साथ सुसम्भव हो सका है...
राजस्थानी कहावतें | Rajasthani Kahawaten
Kanhiya lal Sahal