top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

प्रेमचन्द भारतीयता का विरह रूप थे। उनकी रचनाओं में हिन्दी भाषियों ने पहली बार साहित्य में अपने वास्तविक समाज का चित्रण देखा।

इनके उपन्यासों में सामाजिक समस्याओं के साथ-साथ नारी स्वातन्त्र्य के स्वर मुखर होकर उभरे। उपन्यासों एवं कहानियों के उठाए गए विषय आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने सर्जनकाल में थे। दहेज की लालसा को अनुचित ठहराया। बाल विवाह, बेमेल विवाह, विधवा विवाह, नारी पर समाज के अत्याचार जैसे विषय उपन्यासों

में चित्रित हुए।

कथा साहित्य में यथार्थ एवं आदर्श दोनों को ही महत्व दिया। उन्होंने कहा था- मैं इस बात की जरूरत नहीं समझता कि किसी मनोरंजक घटना को कहानी का आधार बनाऊँ उपन्यास हो या कहानी संसार वह मानवीय भावनाओं को उकेरने में न केवल सफल रहे। बल्कि उनके रचना संसार में अपनी जीवंतता को इस प्रकार रचा कि वैश्वीकरण के इस दौर में भी पाठक इनकी रचनाओं में अपने संसार को ढूंढ़ लेता है।

गबन | Gaban

SKU: 818036013XPB
₹130.00 Regular Price
₹117.00Sale Price
Only 1 left in stock
  • Munshi Premchand

No Reviews YetShare your thoughts. Be the first to leave a review.

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page