इस पुस्तक के निबन्ध अपने समय के दस्तावेज हैं जिनको पढ़ते दिनकर के वैचारिक-स्रोतों और सन्दर्भों से हम अवगत हो सकते हैं; और जान सकते हैं कि एक युगद्रष्टा साहित्यकार अपने जीवन में अपनी कलम के साथ किस द्वन्द्व-अन्तर्द्वन्द्व के साथ जीता रहा। ‘अर्धनारीश्वर’ दिनकर का वह निबन्ध-संग्रह हैं जिसमें समाज, साहित्य, राजनीति, स्वतंत्रता, राष्ट्रीयता, अन्तरराष्ट्रीयता, धर्म, विज्ञान के साथ-साथ लेखकों, चिन्तकों, मनीषियों, राजनेताओं के कृतित्व और व्यक्तित्व से जुड़े अनेक पहलुओं का व्यापक परिप्रेक्ष्य में गम्भीरता से आकलन किया गया है और तर्क-सम्मत निष्कर्ष निकाले गए हैं। इस संग्रह का नाम ‘अर्धनारीश्वर’ क्यों रखा गया, इसके बारे में स्वयं लेखक का कहना है कि, '“इसमें ऐसे भी निबन्ध हैं जो मन-बहलाव में लिखे जाने के कारण कविता की चौहद्दी के पास पड़ते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिनमें बौद्धिक चिन्तन या विश्लेषण प्रधान है। इसीलिए मैंने इस संग्रह का नाम ‘अर्धनारीश्वर’ रखा है, यद्यपि इसमें अनुपातत: नरत्व अधिक और नारीत्व कम है।” अतएव स्पष्ट है कि राष्ट्रकवि दिनकर की कविताएँ जिन्हें पसन्द हैं, उन्हें ये निबन्ध भी उनकी सोच-संवेदना के बेहद करीब लगेंगे।
अर्धनारीश्वर | Ardhnarishwar
Ramdhari Singh Dinkar