top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

'आपका बेटी' और 'महाभोज' जैसे उपन्यास और अनेक बहुपठित चर्चित कहानियों की लेखिका मन्नू भंडारी इस पुस्तक में अपने लेखकीय जीवन की कहानी कह रही हैं। यह उनकी आत्मकथा नहीं है, लेकिन इसमें उनके भावात्मक और सांसारिक जीवन के उन पहलुओं पर भरपूर प्रकाश पड़ता है जो उनकी रचना- यात्रा में निर्णायक रहे। एक ख्यातिप्राप्त लेखक की जीवन संगिनी होने का रोमांच और एक ज़िद्दी पति की पत्नी होने की बाधाएँ, एक तरफ़ अपनी लेखकीय ज़रूरतें (महत्त्वाकांक्षाएँ नहीं) और दूसरी तरफ़ एक घर को सँभालने का बोझिल दायित्व, एक धुर आम आदमी की तरह जीने की चाह और महान उपलब्धियों के लिए ललकता, आसपास का साहित्यिक वातावरण- ऐसे कई-कई विरोधाभासों के बीच से मन्नूजी लगातार गुजरती रहीं, लेकिन उन्होंने अपनी जिजीविषा, अपनी सादगी, आदमीयत और रचना-संकल्प को नहीं टूटने दिया। यह आत्मस्मरण मन्नूजी की जीवन स्थितियों के साथ-साथ उनके दौर की कई साहित्यिक-सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी रोशनी डालता है और नई कहानी दौर की रचनात्मक बेकली और तत्कालीन लेखकों की ऊँचाइयों नीचाइयों से भी परिचित कराता है। साथ ही उन परिवेशगत स्थितियों को भी पाठक के सामने रखता है जिन्होंने उनकी संवेदना को झकझोरा।

एक कहानी यह भी | Ek Kahani Yah Bhi

SKU: 9788183612395
₹350.00 Regular Price
₹315.00Sale Price
Only 1 left in stock
  • Mannu Bhandari

No Reviews YetShare your thoughts. Be the first to leave a review.

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page