कोई भी धर्म मन:शांति प्राप्त कर इंद्रियों पर विजय पाने का एक माध्यम है। चूँकि यह एक माध्यम है, इसलिए इसका अन्य किसी भी माध्यम की तरह सही या ग़लत दोनों तरह से इस्तेमाल हो सकता है। सही रास्ता अतिउच्च दर्जे का आध्यात्मिक सुख देकर मानव को मानवता के क़रीब लाता है, तो ग़लत रास्ता धार्मिक उन्माद फैलाकर मानवता को शर्मसार करता है। यह उन्माद का नशा जलसों, जुलूसों, राजनीतिक भाषणों और चंद टीवी चैनलों के माध्यम से दिन-रात परोसा जा रहा है, बेचा जा रहा है। इसकी उस अबला नारी की तरह सरेआम नीलामी हो रही है जिसके बदन से कपड़ों की परतों को समाज नोच-नोचकर निकाल रहा है, धीरे-धीरे उसे नंगा कर रहा है। ‘काफ़िराना’ उस अधनंगी नारी को वस्त्र पहनाने की, उसे समाज के बिकाऊ भेड़ियों से सुरक्षित रखने की मामूली-सी कोशिश है। ‘काफ़िराना’ कोई धर्मविरोधी सिद्धांत नहीं बल्कि विशाल हृदय सागर की तरह सभी जाति-धर्म को विभिन्न नदियों की तरह ख़ुद में समा लेते हुए ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व’ का पूर्णतः प्रसार, प्रचार और समर्थन करता है।
काफ़िराना । Kafirana
Gaffar Attar