राजस्थान वीर प्रस्विनी भूमि है। क्योंकि यहाँ के जन-जन और कण- कण वीरत्व के पोषक हैं। राजस्थान के साहित्य, इतिहास, भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका विकास जनसमूह की अन्तर्मुखी प्रवृत्तियों से हुआ है तथा सीधा सम्बन्ध शिक्षा, सभ्यता और संस्कृति से है।
राजस्थान के इतिहास में ऐसे अनूठे उदाहरण हैं जो अपनी वीरता, शौर्य, बलिदान, त्याग एवं स्वामिभक्ति के लिए विश्ववन्द्य हैं जिनमें गोरा-बादल, महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास एवं पन्नाधाय इत्यादि हैं।
गोरा-बादल की वीरत्व की चर्चा राजस्थान के वीरों की प्रथम पंक्ति में की जाती है। महाकवि जायसी ने अपने महाकाव्य पद्मावत में लिखा है-
"तुम गोरा बादल खंभ दोऊ । जस रन पारथ और न कोऊ ।।"
अर्थात् हे गोरा बादल ! तुम चित्तौड़ के किले के लिए मजबूत खम्भे के समान हो तथा जो भूमिका महाभारत के युद्ध में अर्जुन की थी, वही भूमिका चित्तौड़ के रण में तुम्हारी है।
चितौड़ की गाथा गोरा बादल | Chittor Ki Gatha Gora Badal
Manoj Arora