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भागीरथी की गोद में दुर्गा

काशी का पुनीत प्रांगण! गंगा के दक्षिणी तट पर चिमाजी अप्पा का एक खूबसूरत महलं । महल के एक भाग में मोरोपन्त ताम्बे का निवास । अकस्मात् एक दिन मां दुर्गा की स्तुति सुनाई पड़ती है-

'जय महिषविमर्दिनिशूल करे, जय लोकसमस्तक पाप हरे । जय देवि पितामहविष्णुनते, जय भास्करशक्रशिरोऽवनते।।' 'हे महिषासुर का मर्दन करनेवाली, शूलधारिणी और लोक के समस्त पापों को दूर करने वाली भगवती ! तुम्हारी जय हो ! ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य और इन्द्र से नमस्कृत होनेवाली हे देवि! तुम्हारी जय हो, जय हो !!"

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई | Jhansi Ki Rani Lakshmibai

SKU: 9788190970983
₹240.00 Regular Price
₹204.00Sale Price
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  • Parmeshwar Prasad Singh

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