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महाकवि तुलसी महान भक्त हैं, तो महान् कवि भी हैं। भक्त और कवि का अद्भुत समन्वय है, तुलसीदास में। गोस्वामीजी ने बारह ग्रंथ लिखे हैं। उन ग्रंथों में 'रामचरितमानस' और 'विनयपत्रिका' ऐसे ग्रंथ हैं, जिन पर विद्वानों की सम्पूर्ण दृष्टि रही है, शेष दस ग्रंथ साहित्य जगत में चर्चा का विषय कम ही बन पाये हैं। 'मानस' और 'विनयपत्रिका' के अतिरिक्त अन्य ग्रंथ समीक्षा और अध्ययन की दृष्टि से 'लघु' हैं, इनमें कुछ आकार एवं विषयवस्तु की दृष्टि से 'लघु' हैं, तो कुछ प्रचार-प्रसार की दृष्टि से लघु हैं, इस प्रकार इन दस ग्रंथों को 'लघुग्रंथों' की श्रेणी में लिया गया है। 'रामचरितमानस' और 'विनयपत्रिका' पर अनेक शोधबद्ध एवं शोधमुक्त ग्रंथ प्रस्तुत किये जा चुके हैं, अस्तु शेष दस ग्रंथों को ही यहाँ समीक्षा और विवेचना के दायरे में लिया गया है। वे दस ग्रंथ हैं-रामलला नहछू, वैराग्य-संदीपनी, बरवै रामायण, जानकी-मंगल, पार्वती-मंगल, श्रीकृष्ण-गीतावली, गीतावली, कवितावली, दोहावली, रामाज्ञा- प्रश्नावली।

लोक प्रसिद्धि से रहित इन ग्रंथों की समीक्षा तुलसी के अध्येताओं और समीक्षकों के लिये तुलसी- मंथन का मार्ग प्रशस्त करेगी।

तुलसी के लघुग्रंथ । Tulsi Ke Laghugranth

SKU: 9788177115192
₹450.00 Regular Price
₹382.50Sale Price
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  • Dr. Keshav Kumar Sharma

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