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आले में रखे दीये ने फिर से झपकी ली। ऊपर, दीवार में, छत के पास से दो ईंटें निकली हुई थीं। जब-जब वहाँ से हवा का झोंका आता, दीये की बत्ती झपक जाती और कोठरी की दीवारों पर साए-से डोल जाते । थोड़ी देर बाद बत्ती अपने-आप सीधी हो जाती और उसमें से उठनेवाली धुएँ की लकीर आले को चाटती हुई फिर से ऊपर की ओर सीधे रुख जाने लगती। नत्थू की साँस धौंकनी की तरह चल रही थी और उसे लगा जैसे उसकी साँस के ही कारण दीये की बत्ती झपकने लगी है।

तमस । Tamas

SKU: 9788126715732
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  • Bhishm Sahni

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