नादिया मुराद एक साहसी यज़ीदी युवती हैं जिन्होंने आईएसआईएस की कैद में रहते हुए यौन उत्पीड़न और अकल्पनीय दुख सहन किया है। नादिया के छह भाइयों की हत्या के बाद उनकी माँ को मार दिया गया और उनके शव कब्रिस्तान में दफ़ना दिए गए।
परंतु नादिया ने हिम्मत नहीं हारी।
यह संस्मरण, इराक में नादिया के शांतिपूर्ण बचपन से लेकर क्षति और निर्ममता, और फिर जर्मनी में उनके सुरक्षित लौटने तक का प्रेरणादायक सफ़र है। नादिया पर एलेक्ज़ैंड्रिया बॉम्बाख़ ने ऑन हर शोल्डर्स नामक फ़िल्म बनाई है, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और वह संयुक्त राष्ट्र के डिग्निटी ऑफ़ सरवाइवर्स ऑफ़ ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग की पहली गुडविल एंबेसेडर भी हैं। इस किताब का सबसे बड़ा संदेश है : साहस और प्रमाण के साथ अपनी बात कहने से दुनिया को बदला जा सकता है।
यह पुस्तक यज़ीदियों द्वारा सहन किए गए अत्याचार की सशक्त अभिव्यक्ति और उनके समुदाय की आध्यात्मिक संस्कृति की झलक प्रदान करती है... यह एक साहसी महिला द्वारा लिखी एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
-ईअन बिरेल, द टाइम्स
एक साहसिक किताब... जो लोग तथाकथित इस्लामिक स्टेट के बारे में जानना चाहते हैं उन्हें यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।
- द इकोनॉमिस्ट
द लास्ट गर्ल | The Last Girl
Nadiya Murad