स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित इस नाटक में नाटकीय दृश्यता की अपेक्षा कथात्मकता अधिक है। पात्र भी दो ही हैं, और इसका पूरा ताना-बाना यथार्थ, स्मृति और कल्पना तथा अति कल्पना के • झिलमिल रंगों से बना है। इस रचना का वास्तविक आकर्षण चरित्रों की जटिलता, स्थिति की विडम्बना और सहज किन्तु जीवन्त भाषा संवाद में हैं। आधुनिक खोखले जीवन का साक्षात् दर्शन है यह नाटक ।
दूसरा अध्याय | Doosara Adhyay
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Ajay Shukla
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