‘पापामैन’ निखिल सचान की चौथी किताब है, जिसकी कहानी बॉलीवुड में लोगों को इतनी पसंद आई कि किताब की रिलीज़ के पहले से ही इस कहानी पर फ़िल्म बनाने का काम शुरू हो चुका है। कहानी छुटकी और उसके पापामैन चंद्रप्रकाश गुप्ता की है, जो रेलवे में टिकट बनाते हैं। छुटकी IIT कानपुर में पढ़ती है, इनोवेटर है और आगे की पढ़ाई के लिए MIT, USA जाना चाहती है। वह बचपन से ही अतरंगी सपने देखती थी। उसे कभी एस्ट्रोनॉट बनना होता था, तो कभी मिस इंडिया तो कभी इंदिरा गाँधी। सब कुछ तो बन नहीं सकती थी, लेकिन चंद्रप्रकाश ने उसके सपनों को कभी बचकाना नहीं कहा। उन्होंने छुटकी को यह कभी नहीं बताया कि एक सपना ख़ुद चंद्रप्रकाश ने भी देखा था- बंबई जाकर सिंगर बनने का सपना, जिसे वह अपनी बेटी छुटकी के सपनों को पूरा करने की ज़िद में छिपा गए। चंद्रप्रकाश ने न जाने कितने लोगों को टिकट बनाकर रेल से अनके गंतव्य तक भेजा लेकिन अपने सपनों के शहर बंबई का टिकट कभी ख़ुद नहीं काट पाए। यह कहानी उन्हीं भूले-बिसरे सपनों को पूरा करने की कहानी है। यह कहानी एक पिता की है, एक पापामैन की है, जो अंदर से कोमल-सी माँ ही होते हैं, लेकिन पिता होने की ज़िम्मेदारी के चलते यह बात अपने बच्चों से छिपा जाते हैं। कहानी में कानपुर की ख़ालिस भौकाली है, कटियाबाजी और बकैती है, पिंटू और छुटकी की लवस्टोरी भी है। पिंटू it I में पढ़ता है लेकिन IIT में पढ़ने वाली छुटकी से प्यार कर बैठा है। उसका दोस्त अन्नू अवस्थी उसे कानपुर का रणवीर सिंह बताता है और अपने पिंटू भैया की लवस्टोरी को सफल मक़ाम तक पहुँचाना चाहता है।
पापा मैन | Papa Man
Nikhil Sachan