गौतम राजऋषि- एक ऐसा नाम जो हिंदी साहित्य की आधुनिक कविता में एक ताज़ा बदलाव बनकर उभरा है। किसने सोचा होगा कि भारतीय सेना का एक सेवारत कर्नल हमें ग़ज़लों की एक नई शैली से परिचित कराएगा और वह बिल्कुल वही करता है, बड़ी सहजता और पैनेपन के साथ... हमारे दिमाग में बनी सभी घिसी-पिटी छवियों को खत्म कर देता है। वह अपने शब्दों को हमारे दैनिक जीवन से उठाते हैं, और उन्हें एक ऐसा उदात्त आनंद देते हैं जो हमने ग़ज़लों में पहले कभी नहीं देखा है। वह हमारी सीमाओं पर एक चांदनी रात का वर्णन करने में उतना ही सहज है, जितना कि वह हमें एक प्रेमी के होठों से लटकती सिगरेट के सरल कार्य के दार्शनिक संदर्भ की याद दिलाते समय है। कर्नल गौतम की कविता के प्रत्येक छंद में जादू का एक अलग जादू है जो आपके दिल को कभी दर्द से, कभी खुशी से और ज्यादातर समय सरासर विषाद से छलनी कर देगा।
पाल ले इक रोग नादाँ | Paal Le Ek Rog Nadan
Gautam Rajrishi