भारत के हर प्रान्त, हर कस्बे और यहाँ तक कि हर गाँव में अलग-अलग देवी पूजी जाती हैं और प्रत्येक का अपना अलग स्वरूप और विशेषता है। प्राचीन हिन्दू पौराणिक कहानियों और किंवदंतियों के शोध से लेखक देवदत्त पटनायक ने पाया कि जितनी भी देवियाँ हैं, उन सभी की उत्पत्ति पाँच मुख्य स्वरूपों से हुई है। पहले स्वरूप में देवी को प्रकृति के रूप में माना गया है। देवी का दूसरा स्वरूप जननी के रूप में है, जिसमें ममता उसका सबसे बड़ा गुण है। देवी का तीसरा स्वरूप है पुरुष को लुभाकर शारीरिक भोग-विलास से जीवन-चक्र में बाँधने वाली अप्सरा । जहाँ स्त्री पति और घर-गृहस्थी के बन्धन में बंध जाती है तो उसका चौथा स्वरूप पत्नी के रूप में उजागर होता है। पाँचवाँ स्वरूप है बदला लेने वाली डरावनी, खूँखार आसुरी का। देवी के इन पाँचों स्वरूपों को लेखक ने बहुत ही रोचक लोककथाओं और कहानियों के ज़रिये पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है।
भारत में देवी | Bharat Me Devi
Devdutt Pattnayak