भूले बिसरे चित्र अतीत के वित्री का एक विशेष एलबम है, जिसके चित्र कभी नहीं यह सकते।
सन् 1932 में भगवती बाबू ने पाप और पुण्य की समस्या पर अपना प्रसिद्ध उपन्यास चित्रलेखा लिखा जो हिन्दी साहित्य में एक क्लासिक के रूप में आज भी समादृत है। तीन वर्ष उनका प्रथम सामाजिक उपन्यास है जो एक प्रेमकथा है। सन् 1948 में उनका प्रथम वृहत् उपन्यास टेढ़े-मेढ़े रास्ते आया जिसे हिन्दी साहित्य के प्रथम राजनीतिक उपन्यास का दर्जा मिला। इसी श्रृंखला में उन्होंने आगे चलकर बृहत् राजनीतिक उपन्यासों की एक श्रृंखला लिखी जिनमें मूले-बिसरे चित्र, सीधी-सच्ची बातें, प्रश्न और मरीचिका, सबहिं नचावत राम गोसाई और सामर्थ्य और सीमा प्रमुख हैं।
भगवतीचरण वर्मा के सभी उपन्यासों में एक विविधता पाई जाती है। उन्होंने हास्य-व्यंग्य, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक सभी विषयों पर उपन्यास लिखे। कवि और कथाकार होने के कारण वर्मा जी के उपन्यासों में भावनात्मकता और बौद्धिकता का सामंजस्य मिलता है। भूले बिसरे चित्र जीवन के सभी पहलुओं से रू-ब-रू कराता कालजयी उपन्यास है।
भूले-बिसरे चित्र | Bhoole-Bisare Chitra
Bhagwaticharan Verma