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अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने और ज्ञान की प्राप्ति

के लिए महल को छोड़कर जाने की सिद्धार्थ गौतम की कहानी कई

शताब्दियों से अनगिनत बार सुनाई जाती रही है। इसके बावजूद हमने कभी यह नहीं सोचा कि एक शिशु को जन्म देने के अनुभव से गुज़र चुकी उनकी पत्नी यशोधरा कैसे चैन से सोई रह सकती थी, जबकि अत्यधिक संरक्षित जीवन जीने वाले उनके राजकुमार पति परिवार, धन-संपदा और इस उपन्यास में इतिहास लेखन में छूट गए अंतरालों की पूर्ति काल्पनिक घटनाओं द्वारा की गई है और इसे अत्यंत परिपूर्णता और

राजपाट को त्याग कर जा रहे थे!

उत्साहपूर्ण ढंग से किया गया है। यशोधरा कौन थी और दुनिया को देखने के उसके दृष्टिकोण को किस चीज़ ने आकार दिया था ? जब सोलह वर्ष की आयु में उसका विवाह सिद्धार्थ से हुआ, तो क्या वह जानती थी कि उसका दाम्पत्य जीवन बहुत जल्दी ही पूरी तरह से बदलने वाला था? वोल्गा के नारीवादी उपन्यास यशोधरा में हमारी मुलाकात जिस स्त्री से होती है, वह

बुद्धिमान और करुणामयी है। वह आध्यात्मिक जीवन में पुरुषों के समान स्त्रियों के लिए भी पथ प्रशस्त करने की इच्छा रखती है।

यशोधरा । Yashodhara

SKU: 9789390085651
₹225.00 Regular Price
₹202.50Sale Price
Only 1 left in stock
  • Author

    Volga

  • Publisher

    Manjul Publishing

  • No. of Pages

    153

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