सिर्फ़ अपने आनंद के लिए एक इंसान अपनी जघन्यता को किस तरह देवत्व का नाम दे देता है, यह उपन्यास इसी की कहानी कहता है। राक्षस और देवता हमारे अंदर ही होते हैं। उसके लिए डरावनी शक्लें और बाहर निकले हुए दाँत होना जरूरी नहीं है। उपन्यास "रंगी लाल गली' एक ऐसे राक्षस यानी साइको सीरियल किलर की कहानी है जो लोगों की हत्या करने को उनकी मुक्ति मानता है। कुल 21 खून किए थे उसने, और लोगों को मुक्ति देकर वह ईश्वर बनने की राह पर था। कोर्ट में वह स्वीकारता है कि उसे अब मौत की सजा का भी कोई गम नहीं है, क्योंकि वह ईश्वरत्व को महसूस कर रहा है। जब उसे फाँसी की सजा सुनाई गई, तब उसने कहा कि मौत उसे मार नहीं सकती, वह अमर हो चुका है, वह फिर जन्म लेगा। समाज में ऐसी मनोविकृतियाँ कैसे जन्म लेती हैं, इसे जानने के लिए इस कहानी को पढ़ा जाना बहुत जरूरी है।
रंगी लाल गली | Rangi Laal Gali
Swati Gautam