प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. बी.एल. भादानी ने विभिन्न ऐतिहासिक स्त्रोतों के आधार पर अपने आलेख "चार मथल की जल संग्रहण की संस्कृति" में धार के भूगोल का सजीव वर्णन करते हुए स्थानीय परम्परागत जल संग्रहण तकनीक की रोचक जानकारी दी है। प्रो. भादानी ने कुआँ व बावड़ियों के निर्माण, सिंचाई की तकनीक का उल्लेख करते उदाहरणों द्वारा थार की जल संस्कृति की प्रस्तुत करते हुए मृतप्रायः विरासत को पुर्नजीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। प्रो. डॉ. जे.सी. उपाध्याय ने "मुहणोत नैणसी के ग्रंथों में राजस्थान इतिहास के कुछ पहलू" में मारवाड़ के ख्यातकार नैणसी द्वारा वर्णित विविध सांस्कृतिक पक्ष, आस्था केन्द्रों व संस्कारों का उपयोगी वर्णन किया है। प्रो. सुशीला शक्तावत ने "मेवाड़ शैली में रसिकप्रिया के चित्रण का एक तथ्यपरक अध्ययन" अध्याय में केशवदास रचित ग्रंथ रसिकप्रिया ग्रंथ में राधा कृष्ण के रूपांकन, रीतिकालीन वेशभूषा व मुगल प्रभाव का विश्लेषण किया है। डॉ. विक्रमसिंह भाटी ने "मारवाड़ राजघराने की बहियों में इत्र के संदर्भ" में रियासतकालीन राज मारवाड़ में प्रयुक्त इत्रों के प्रकार, इत्रों की विशेषता व मूल्यों आदि का महत्वपूर्ण वर्णन बहियों के आधार पर किया है। संपादक डॉ. 'भगवानसिंह शेखावत ईडवा ने प्राप्त बहियों व अन्य स्त्रोतों के आधार पर " मारवाड़ के पर्वोत्सव व संस्कार" शोध आलेख में मारवाड़ के राजपरिवार व आमजन द्वारा मनाये जाने वाले विभिन्न उत्सव व संस्कारों का ऐतिहासिक वर्णन किया हैं। डॉ. धनन्जया अमरावत ने "राजस्थानी लोकगीतां में नारी-मन री पीड़" ने मारवाड़ी भाषा में विभिन्न मार्मिक दृष्टान्तों के माध्यम से नारी की भावना को प...
राजस्थान का सांस्कृतिक इतिहास । Rajasthan Ka Sanskritik Itihas
Dr. Bhagwan Singh Shekhawat