लम्बे अरसे से रस्किन बॉन्ड की पुस्तकों का लोकप्रिय पात्र, रस्टी, अपने कारनामों से पाठकों का मन लुभाता, गुदगुदाता और हँसाता आ रहा है। इस पुस्तक में रस्टी | लंदन से लौटने के बाद देहरादून, दिल्ली और शाहगंज में कुछ समय बिताता है और आखिर में मसूरी के पहाड़ों में बस जाता है जहाँ वह बतौर लेखक अपना जीवन शुरू करता है। रस्टी फिर कभी मसूरी के पहाड़ों को छोड़कर कहीं नहीं जाता। रस्टी की कहानियों की श्रृंखला में यह पाँचवीं और आखिरी कड़ी है। इसमें पायेंगे रस्टी के कई दोस्तों- यारों के किस्से, जिसमें उसका खास दोस्त, सुरेश भी शामिल है, अंकल बिल जो लोगों को ज़हर देने की नई-नई तरकीबें सोचते रहते हैं और जिमी नामक जिन्न । कुछ अजीबोगरीब किरदार, कुछ प्यार-मोहब्बत के किस्सों से भरी रस्किन बॉन्ड की यह किताब हर उम्र के पाठकों को रास आयेगी ।
'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 'पद्मश्री' और 'पद्मभूषण' से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं- रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी और चीता, रस्टी जब भाग गया और रस्टी चला लंदन की ओर।
रस्टी की घर वापसी | Rusty Ki Ghar Wapsi
Ruskin Bond