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लोकदेव नेहरू

पंडितजी से मैंने कभी भी कोई चीज़ अपने लिए नहीं माँगी सिवाय इसके कि 'संस्कृति के चार अध्याय' की भूमिका लिखने को मैंने उन्हें लाचार किया था। और पंडितजी ने भी मुझे मंत्रित्व आदि का कभी कोई लोभ नहीं दिखाया। मेरे कानों में अनेक सूत्रों से जो खबरें बराबर आती रहीं, उनका निचोड़ यह था कि सन् 1953 ई. से ही उनकी इच्छा थी कि मैं मंत्री बना दिया जाऊँ। चूँकि मैंने उनके किसी भी दोस्त के सामने कभी मुँह नहीं खोला, इसलिए सूची में मेरा नाम पंडितजी खुद रखते थे और खुद ही अन्त में उसे काट डालते थे।

लोकदेव नेहरू | Lokdeo Nehru

SKU: 9789389243123
₹250.00 Regular Price
₹225.00Sale Price
Out of Stock
  • Ramdhari Singh Dinkar

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