इस पृथ्वी पर विशेषकर मनुष्य को कथा से प्रेम होता है । कथाओं से बालकों में कल्पनाशक्ति का विकास होता है। लोककथाओं की शैली सजीव एवं कल्पना पर आश्रित होती है। ये कथाएं दर्पण में प्रतिबिम्ब की तरह सत्य प्रतीत होती हैं। कथा का मूल स्त्रोत की भाँति होता है एवं कथाएँ कमल के पत्तों की तरह ।
एक ही कथा को विविध भावभंगिमाओं द्वारा हजार प्रकार से कहा जाता है ।
इन कथाओं में समग्र लोकजीवन का गुम्फन तथा बालकों के ज्ञानवर्धन के लिए कथाओं का दिग्दर्शन किया गया है। देश-विदेश की कथाएँ सुनकर बालक प्रसन्न होते हैं । उनमें एकता की भावना आती है तथा इससे विश्वशान्ति की वृद्धि होती है। मैंने इस सरल कथा माला को साहित्य के प्रसार के लिए तथा मनोरंजन के लिए लिखा है।
निश्चित ही, नीरक्षीर का विवेचन करने वाले विद्वान्, कथाकार के श्रम का स्वयं निर्धारण कर लेंगे।
विश्व बालकथा कोष | Vishva Bal Katha Kosh
Padma Shashtri