'वह लड़की' में अनेक नये मुद्दे उठाये गये हैं। स्त्री शोषण पहले भी था, अभी भी हो रहा है। नयी पीढ़ी की लड़कियाँ शिक्षित होकर स्वावलम्बी बन रही हैं। साथ ही सबल और जाग्रत भी हो रही हैं। मोनी, बबली, निम्मी, प्रिया, इक्कीसवीं शताब्दी की जाग्रत युवा पीढ़ी की लड़कियाँ हैं। वे स्त्री-पुरुष असमानता और लिंग भेद को समाप्त करने के क़दम उठाती हैं। निशा ‘महिला आन्दोलन' से जुड़कर शोषित-पीड़ित महिलाओं को जाग्रत और सबल बनाने की मुहिम चलाती है। शैला घर और परिवार की जिम्मेदारी उठाने के साथ, 'दलित आन्दोलन' और 'महिला आन्दोलन' में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ममता की बेटी प्रिया डॉक्टर बनने के बाद शोषित पीड़ित महिलाओं की मदद करके, समाज सेवा का कार्य करना चाहती है। ममता की बेटी निम्मी विवाह के बाद, पति के साथ अपने माता-पिता के घर में रहने की शर्त रखकर, सामाजिक परम्पराओं को बदलने की बात कहती है। विवाह के बाद लड़की ही ससुराल जाकर क्यों रहे? वे विवाह के बाद भी अपने माता-पिता के साथ रहकर उनको सहयोग दे सकती हैं।
वह लड़की | Vah Ladki
Sushila Takbhore