शिव की कथा सुनने मात्र से व्यक्ति एक राजसूय यह और एक सी अग्निष्टोम् यत्रों को करने से मिलने वाले पुण्य का भागीदार हो जाता है।" "कलियुग में शिव पुराण के श्रवण से बड़ा मोक्ष प्राप्ति का कोई दूसरा सत्कर्म नहीं है।"
-शिव महापुराण हिन्दू देवताओं में सबसे प्राचीन और अन्तर्भूत देवता शिव को अनेक परस्पर विरोधी रूपों में चित्रित किया गया है संहारकर्ता और कल्याणकारी, वैरागी और गृहस्थ, भयानक राक्षसों का वध करने वाले और कैलाश की चोटी पर ध्यानमग्न प्रशान्तचित योगी । हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ शिव महापुराण से (जिसके बारे में माना जाता है कि उसकी रचना स्वयं शिव ने की है) वनमाली ने शिव की महत्त्वपूर्ण कथाओं को चुना है, जिनमें उनका स्याह और निरंकुश पक्ष भी उभरता है और कल्याणकारी तथा सौम्य पक्ष भी।
वनमाली ने शिव के अनेक अवतारों की चर्चा की है जिनमें उनके शम्भुनाथ और भोला के अवतार भी शामिल हैं और दक्षिणामूर्ति अवतार भी, जिन्होंने ऋषियों को शास्त्रों और तन्त्रों की शिक्षा दी। उन्होंने दुर्गा, शक्ति, सती और पार्वती तथा उनके पुत्रों गणेश और कार्ति के साथ शिव के संबंधों की व्याख्या की है। शिव द्वारा विजातीय शक्तियों को दी गयी स्वीकृति की गहराई में जाते हुए वनमाली हमें बताती हैं कि क्या कारण हैं कि भूत-प्रेत और पिशाच उनके गण हैं तथा राक्षसराज रावण जैसे लोग उनके परम भक्त हैं। अपने इस विमर्श में उन्होंने गंगा अवतरण और समुद्र मन्थन जैसी कथाओं के साथ-साथ उन कथाओं को भी शामिल किया है जो हमें दीपावली जैसे पर्वों के उद्गम तथा अलौकिक युगल की रचना जैसी बातों के अलावा इस बारे में भी बताती हैं कि किस तरह शिव और पार्वती ने संसार को क
श्री शिव लीला | Shree Shiv Lila
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