सड़क पर कारें शान्ति से आ-जा रही हैं...सब कुछ शान्ति से हो रहा है। यहाँ सभी काम लोग शान्ति से ही करते हैं। लोग आपस में बातचीत भी नहीं करते, कैसे जी पाते हैं? भारत में तो बतकही, गपबाज़ी और बैठकबाज़ी के बिना ज़िन्दगी एक कदम भी नहीं चल सकती।...हम सुनना भी चाहते हैं और बोलना भी। इसमें क्या कंजूसी? यहाँ लोग चुपचाप चलते रहते हैं।
रविवार को हम लीड्स का किला देखने गये।...पत्थर के मेहराब जैसे दरवाज़े के अन्दर प्रवेश करने पर वहाँ के द्वारपाल ने मुझे व्हील चेयर पर देख कर बड़ी आत्मीयता से स्वागत किया तथा सामने के दरवाज़े से जाने का आग्रह किया। साधारण पब्लिक के लिए साइड गेट से प्रवेश का प्रावधान था। इस देश में वरिष्ठ नागरिकों का काफी आदर और सम्मान किया जाता है। सभी बड़ी आत्मीय मुस्कान के साथ मेरा स्वागत कर रहे हैं।
सतरंगी यादें : यात्रा में यात्रा | Satrangi Yaden : Yatra Mein Yatra
Dr. Bina Shrivastava